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राजनीतिक सिद्धांतो का महत्त्व (significant of political theory)

राजनीतिक सिद्धांतो का महत्त्व

(significant of political theory)

राजनीतिक सिद्धान्तों के महत्त्व को इसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों और इनमें निहित उद्देश्यों के आधार पर समझा जा सकता है। राजनीतिक सिद्धान्त राजनीतिक मूल्यों की वह व्यवस्था है जो कोई समाज अपनी राजनीतिक वास्तविकता को समझने और आवश्यकता पड़े तो इसमें परिवर्तन करने के लिये अपनाता है। यह अच्छे जीवन की प्रकृति, इसे प्राप्त करने के लिये संभव संस्थाएँ, राज्य के उद्देश्य इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये सर्वोत्तम राज्य-प्रबंध जैसे विषयों का उच्च स्तरीय अध्ययन है। राजनीतिक सिद्धान्तों का महत्त्व इस बात में है कि ये ऐसे नैतिक मानदण्ड प्रदान करते हैं जिनसे राज्य की नैतिक योग्यता की जाँच की जा सके। आवश्यकता पड़ने पर ये वैकल्पिक राजनीतिक प्रबन्ध और व्यवहार का ढाँचा भी प्रदान करते हैं। समग्र रूप में राजनीतिक सिद्धान्त
  • (i) राजनीतिक घटनाओं की व्याख्या करते हैं,
  • (ii) इस व्याख्या को  वैज्ञानिक और दर्शनिक आधार प्रदान करते हैं,
  • (iii) राजनीतिक  कार्यों और उद्देश्यों का चयन करने में सहायता करते हैं तथा
  • (iv) राजनीतिक व्यवस्था का मौलिक आधार प्रदान करते हैं।


जैसा कि ऊपर स्पष्ट किया गया है, मानव समाज की मौलिक समस्या समुदाय में इकट्ठा रहना है। इस संदर्भ में राजनीति एक ऐसी प्रक्रिया है जो समाज के सामूहिक कार्यकलापों को प्रबंधित करती है। सिद्धान्तों का महत्त्व उन दृष्टिकोणों और पद्धतियों की खोज करना है जो राज्य और समाज की प्रकृति, सरकार का सर्वश्रेष्ठ रूप, व्यक्ति और राज्य में संबंध तथा स्वतंत्रता, समानता, संपत्ति, न्याय आदि की धारणाओं का विकास कर सकें। इन अवधारणाओं का विकास उतना ही आवश्यक है जितना समाज की शान्ति, व्यवस्था, सामन्जस्य, स्थायित्व और एकता । वास्तव में सामाज मे, शान्ति और व्यवस्था बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि हम समानता, स्वतंत्रता और न्याय जैसी मान्यताओं की व्याख्या और इनका कार्यान्वयन कैसे करते हैं।
समकालीन समाज में हम कई तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं जैसे गरीबी, अत्यधिक जनसंख्या, भ्रष्टाचार, जातीय तनाव, प्रदूषण, व्यक्ति समाज और राज्य में विवाद आदि। राजनीतिक सिद्धान्तों का महत्त्वपूर्ण कार्य इन समस्याओं का गहराई से अध्ययन और विश्लेषण करके राजनेताओं को वैकल्पिक साधन प्रदान करना होता है। डेविड हैल्ड के अनुसार, राजनीतिक सिद्धान्तों का महत्त्व इस बात से प्रकट होता है कि एक क्रमबद्ध अध्ययन के अभाव में राजनीति उन स्वार्थी और अनभिज्ञ राजनीतिक नेताओं के हाथ का खिलौना मात्र बन कर रह जायेगी जो इसे शक्ति प्राप्त करने के एक यन्त्र के अतिरिक्त कुछ नहीं समझते। संक्षेप में,

 
राजनीतिक सिद्धान्तों का महत्त्व निम्नलिखित आधारों पर समझा जा सकता है:

  • 1. ये सरकार और राज्य की प्रकृति तथा उद्देश्यों का सही ज्ञान उपलब्ध करवाते हैं,
  • 2. ये राजनीतिक और समाजिक वास्तविकता तथा किसी भी समाज के उद्देश्यों एवं आदर्शो में संबंध स्थापित करने में मदद करते हैं।
  • 3. ये व्यक्ति को सामाजिक स्तर पर अधिकार, कर्तव्य, स्वतंत्रता, समानता, सम्पत्ति, न्याय आदि के बारे में सचेत करवाते हैं।
  • 4. ये सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था को समझने तथा उससे संबंधित समस्याओं, जैसे गरीबी, हिंसा, भ्रष्टाचार, जातिवाद आदि के साथ जूझने के सैद्धान्तिक विकल्प प्रदान करते हैं।
  • 5. सिद्धान्तों का कार्य केवल स्थिति की व्याख्या करना नहीं होता। ये सामाजिक सुधार अथवा क्रांतिकारी तरीकों से परिवर्तन सम्बन्धी सिद्धान्त भी प्रस्तुत करते हैं।


जब किसी समाज के राजनीतिक सिद्धान्त अपनी भूमिका सही तरीके से निभाते हैं। वे मानवीय विकास का एक महत्त्वपूर्ण साधन बन जाता है। जनसाधारण को सही सिद्धान्तों से परिचित करवाने का मतलब केवल उन्हें अपने लक्ष्य और ससाधनों को सही तरीके से चुनने में मदद करना ही नहीं है। बल्कि उन रास्तों से भी बचाना है जो उन्हें निराशा की तरफ ले जा सकते हैं।

 इन्हे भी पढ़े -

1.राजनीतिक सिद्धांत- अर्थ और परिभाषाए

2.राजनीतिक सिद्धांतो की विशेषता

3. राजनीतिक सिद्धांत के अध्ययन के विषय क्षेत्र

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5. राजनीतिक सिद्धांत के आदर्शी और अनुभाविक उपागम  

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