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भारत में लोक नीति अर्थात् सार्वजनिक नीति की प्रक्रिया( public policy process in India)

भारत में लोक नीति अथवा सार्वजनिक नीति प्रक्रिया।      (Public policy  process in India)


भारत जैसे एक लोकतांत्रिक देश में नीति बनाना सरकार का एक महत्त्वपूर्ण कार्य है। नीति बनाने की प्रक्रिया विचारों और राय से शुरू होती है, जो लोगों के उन कार्यों के बारे में होती है, जिन्हें वे सरकार से चाहते हैं। दूसरे शब्दों में, यह कतिपय कथित समस्या पर कार्रवाई के लिए राजनीतिक प्रणाली के उपर नागरिक समाज संगठनों या हितधारी समूहों द्वारा निर्मित बाणे वा प्रस्ताव हैं। मांगों के साथ लोग, या तो हितधारी समूहों द्वारा समर्थित या विरोधी होते हैं, वे अपने विचारों पर कार्रवाई के लिए सरकार से कुछ प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने की चाह रखते हैं।

भारतीय संसदीय प्रणाली में, सरकार की गतिविधियों से प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद द्वारा संचालित किया जाता है। मंत्रियों की परिषद में, कैबिनेट का एक महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि यह एक प्रकार से वह निकाय है । जो सरकारी नीतियों से संबंधित महत्त्वपूर्ण निर्णय लेती है। कैबिनेट सभी नीतियों को तैयार करती है और उन्हें संसद के अनुमोदन के लिए भेजती है। संसद में लोकसभा और राम सभा इसके अनुमोदन के पहले नीति पर चर्चा करते है। संसद के दोनों सदनों में बहुत चर्चा और बहस होती है। हालांकि, बहुमत वाले सदस्यों का समर्थन नीति के अनुमोदन के लिए मार्ग प्रशस्त करता है। एक बार इसे दोनों सदनों द्वारा मंजूरी दे दी जाती है, तो इसे राष्ट्रपति को अपनी सहमति के लिए भेजा जाता है। राष्ट्रपति स्वतंत्र हैं, या तो अपनी मंजूरी दे सकते हैं या इसे रोक सकते हैं। अवसर पड़ने पर, वह अपनी टिप्पणियों और सिफारिशों के साथ विधेयक को वापस संसद में भेज सकते हैं। राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तावित परिवर्तनों को शामिल करने के बाद, विधेयक को सहमति के लिए वापस भेजा जाता है और वह सहमति प्रदान करने के लिए बाध्य हैं। राष्ट्रपति द्वारा की गई सिफारिशों की संसद अनदेखी भी कर सकती. है, अगर दोनों सदन में सरकार का मजबूत बहुमत है । इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद एक विधेयक को नीति में परिवर्तित किया जाता है।

सार्वजनिक नीति प्रक्रिया में एक और चरण नीति का कार्यान्वयन है। नीति के वास्तविक फल का आनंद तब उठाया जा सकता है, जब नीति को प्रभावी ढंग से लागू किया जाता है। भारत में विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, सिविल सेवा, गैर सरकारी संगठन और अन्य लोग नीतियां लागू करने की प्रक्रिया में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाग लेते हैं। प्रश्नकाल के दौरान अपनी राय व्यक्त करते हुए विधायिका नीति क्रियान्वयन की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। संसद सदस्य (सांसद) सरकार से कोई भी महत्त्वपूर्ण प्रश्न पूछ सकते हैं। लोक लेखा समिति, आकलन समिति और चयन समितियों जैसी कई समितियां है, जो सदस्यों को सरकार के फैसले की छानबीन करने में सक्षम बनाती हैं। बजटीव चर्चा में हर साल सांसद अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। न्यायपालिका नीति क्रियान्वयन प्रक्रिया में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सरकार द्वारा तैयार की गई किसी भी नीति के संविधान के सा विसंगति में होने पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निरर्थक और शुन्य घोषित किया गया है। लोक हित की मुकदमेबाजी (पीआईएल) ने भी सर्वोच्च न्यायालय को सरकार को दोषपूर्ण नीति में बदलाव करने और गलत नीति के कार्यान्वयन की जांच करने के लिए सक्षम बनाया है। नीति कार्यान्वयन की प्रक्रिया में कार्यपालिका की भूमिका काफी महत्त्वपूर्ण है। सिविल सेवा के सहयोग से, कार्यपालिका मुख्यत: नीतियों के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार है। सिविल सेवक अपने कौशल, ज्ञान और अनुभव की वजह से नीति को सही दायरे में ला सकते हैं। सार्वजनिक नीति नागरिकों के कल्याण के लिए होती है। इसलिए, सिविल सेवक सार्वजनिक नीति को । लागू करने में नागरिकों के साथ स्वस्थ सहयोग बनाए रखते हैं।


सफलतापूर्वक कार्यान्वित होने के बाद, उसके कथित इरादों और परिणामों के संदर्भ में अपनी प्रभावशीलता प्राप्त करने के लिए नीति का मूल्यांकन किया जाता है। भारत विधायिकाएं और उनकी समितियां, सीएजी, जांच आयोग, और विभागीय मूल्यांकन आधिकारिक नीति मूल्यांकन अभिकरण हैं। मूल्यांकन गतिविधि सरकार के बाहर भी की जाती है विश्वविद्यालय शोध विद्यार्थी, निजी अनुसंधान संस्थान, दबाव समूह, और सार्वजनिक हितधारी संगठन, नीतियों का मूल्यांकन करते हैं, जो काफी हद तक सरकारी अधिकारियों पर प्रभाव डालते हैं। वे बड़ी संख्या में जनता को सूचना प्रदान करते हैं, नीति कोई या निष्क्रियता को विज्ञापित करते हैं, अधिनियम या नीतियों को वापस लेने की देखी करते हैं, और अक्सर जनता के कमजोर वर्गों की मांगों को प्रभावी ढंग से आवाज देते है। नीति मूल्यांकन प्रक्रिया के माध्यम से नीति निर्माताओं को बेहतर नीति तैयार करने के लिए प्रतिपुष्टि मिलती है।


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