प्रस्तावना
आतंकवाद वर्तमान विश्व की भयानक समस्या है। ब्रिया रोजर के अनुसार 20वीं सदी का आतंकवाद अपने स्वरूप में अद्भूत है और विश्व के लिए एक कलंक के समान है।"
पिछले कुछ वर्षों में आतंकवाद की समस्या ने सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया है। विश्व में भारत, अमेरिका, रूस, चीन आदि देश आतंकवाद से पीडित है। आतंकवादी विभिन्न हिंसात्मक घटनाओं जैसे-अपहरण, कत्ल, बम विस्फोट तथा तोड़-फोड़ आदि के द्वारा आतंकवाद का प्रसार करके अपने उद्देश्यों को पूरा करते है।
आतंकवादी संगठन राज्यों पर विशेष रूप से दबाव बना कर अपने संकीर्ण हितों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। हथियारों का गैर कानूनी व्यापार, नशीले पदार्थों की तस्करी, जातीय हिंसा व नस्लवाद अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के भयंकर हानिकारक एवं चिनीने रूप दिखा रहे हैं। पिछले लगभग तीन दशकों से विश्व में अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद तीव्र गति से विकसित हो रहा है। विभिन्न आतंकवादी संगठन कई देशों व कई साधनों से धन इकट्ठा करके आतंकवादी गतिविधियों का अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार कर रहे है और दिन-प्रतिदिन अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद का स्वरूप उग्र रूप धारण करता जा रहा है।
ऐसी विचारधारा का पोषण है जिसमें अपनी इच्छाओं को मनवाने के लिए अस्त्र-शस्त्रों के प्रयोग से निर्दोष लोगों में भय पैदा करना है। भौतिक दृष्टि से सम्पन्न समझे जाने वाले राष्ट्रों तथा कट्टर मानसिकता वाले राष्ट्रों में यह आतंकवाद की प्रवृत्ति खूब पनप रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी, भारत की प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी, भारत के प्रधानमन्त्री श्री राजीव गाँधी इन्हीं आतंकवादियों का शिकार बने हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर और भारतीय संसद पर हमले करे आतंकवादियों ने समुदाय को विशेष संदेश दिया कि आतंकवाद किसी भी राष्ट्र की सीमाओं को नहीं पहचानता। इस प्रकार आतंकवादी अपनी बातों को मनवाने के लिए आम जनता को निशाना बनाते हैं ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
आतंकवाद का अर्थ तथा परिभाषाए।
शाब्दिक दृष्टि से आतंकवाद (Terrorism) लैटिन भाषा के दो शब्दों Terrer एवं deterre से बना है, जिसमें terrere का अर्थ है tremble यानी भय से कॉपना और deterre का अर्थ है भयभीत होना इस प्रकार आतंकवाद का तात्पर्य है हिंसा द्वारा लोगों को भयभीत करना, ताकि वे डर से काँपना शुरू कर दें और राज्य की मशीनरी जो संगठित शक्ति पर टिकी है, उसे निष्प्रभावी बनाकर, अनपे लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की प्राप्ति की जाए आतंकवाद की अनेक परिभाषाएँ दी गई है,
- राम आहूजा के अनुसार, "आतंकवाद हिंसा या हिंसा की धमकी के उपयोग द्वारा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संघर्ष या लड़ाई की एक विधि व रणनीति है। यह क्रूर व्यवहार है जो मानवीय प्रतिमानों का पालन नहीं करता।"
- वृहद हिन्दी कोश के अनुसार, आतंकवाद की परिभाषा निम्न प्रकार है-राज्य या विरोधी वर्ग को दबाने के लिए भयोत्पादक उपायों का अवलम्बन ।"
- एडवांस लर्नर्स डिक्शनरी ऑफ करन्ट इंग्लिश के अनुसार, "ऐतिहासिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए हिंसा एवं भय का उपयोग करना आतंकवाद है।
- सबसे अधिक उपयुक्त परिभाषा यह है कि "जब कोई भी व्यक्ति, समाज, संगठन या राष्ट्र अपनी जीवन पद्धति अपने विचार मान्यताओं और मूल्यों को किसी दूसरे पर छल, कपट, शक्ति और हिंसा के बलबूते पर थोपने की चेष्टा करता है, तो उसे आतंकवाद कहा जाता है।" आतंकवाद का रूप बौद्धिक, राजनीतिक व सामाजिक किसी भी प्रकार का हो सकता है।
इसे जरूर पढ़े -अन्तर्राष्ट्रीय या वैश्विक आतंकवाद(international or global Terrorism )
आतंकवाद के उद्देश्य
आतंकवाद के उद्देश्य आतंकवाद के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं
- (1) अपने उद्देश्यों व आदर्शों का सघन प्रचार करना और जनता का अधिकाधिक समर्थन प्राप्त करना ।
- (2) अपने संगठन की शक्ति को बढ़ाने के लिए विशेषकर युवा वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करना और अपने आदर्शों के पक्ष में इनके दिल व दिमाग में विष घोलना और उन्हें संगठन के लिए मर मिटने को तैयार करना।
- (3) धमकी हिंसा और सार्वजनिक सम्पत्ति अन्धाधुन्ध नष्ट करके सरकार या शासन पर अपनी मांगों को मनवाने के लिए दबाव डालना।
- (4) विरोधियों और मुखबिरों को किसी भी कीमत पर सहन न करना और उन्हें खत्म करने के लिए आवश्यक कदम उठाना।
- (5) देश की सुरक्षा, शांति व अखण्डता के लिए हर सम्भव खतरा उत्पन्न करना ताकि देश में भय, आतंक व असुरक्षा का ववातावरण बना रहे।
- (6) देश के अन्य अलगाववादी शक्तियों को भड़काना ताकि सरकार व जनता का सिर दर्द बना रहे।
आतंकवाद के कारण
- 1. उपनिवेशवाद - आधुनिक आतंकवाद का जन्म प्रायः औपनिवेशिक प्रशासनों देशों में शासकों द्वारा वर्षों तक अपनाई गई दमनकारी गतिविधियों जिसे आतंकवादी गतिविधियाँ भी कहा जाता है और उसकी प्रतिक्रियास्वरूप वहाँ जन्मे स्वतंत्रता आन्दोलनों को माना जाता है। प्रायः सभी देशों के स्वतंत्रता संग्राम में विदेशी शासकों को भगाने के लिए आतंकवादी गतिविधियों को अपनाया गया, लेकिन इस आतंकवाद में आम जनता को लक्ष्य न बनाकर उसे साथ रखा गया।
- 2. राष्ट्रीयता की पहचान-उपनिवेशों की समाप्ति की प्रक्रिया में अनेक छोटे-बड़े राष्ट्र स्वतंत्रता प्राप्त करते चले गए। इन राष्ट्रों में कुछ विशेष जातीयता एवं धार्मिक समूह अपनी पहचान के लिए पृथक राष्ट्रों की मांग करने लगे जिसके लिए इन समूहों ने संगठित एवं सुनियोजित आन्दोलन आरम्भ किए। इस प्रकार के आतंकवादी युद्ध आज भी श्रीलंका, चेचन्या (रूस), भारत आदि देशों में जारी हैं। इन संघर्षरत राष्ट्रीयताओं का सम्बन्ध सामाजिक, धार्मिक व वैचारिक आधार पर अन्य राष्ट्रीयताओं से होता है जिसमें इन्हें हथियारों, धन आदि की सहायता प्राप्त होने लगती है जो सुनियोजित, संगठित एवं प्रायोजित आतंकवाद को जन्म देती है।
- 3.संसाधनों की कमी आतंकवाद का माध्यम उस जातीय समूह या अलगाववादी संगठन द्वारा लिया जाता है जो प्रत्यक्ष युद्ध करने में सक्षम नहीं होते हैं। कोई भी पृथकतावादी संगठन धीरे-धीरे आकार लेता है क्योंकि उसका दमन भी साथ-साथ चलता रहता है। अतः अपने स्वरूप को बनाए रखने, विद्रोह को प्रदर्शित करने, सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए वह अपने विध्वंसकारी कार्यों को करते रहते हैं।
- 4. नीति-निर्धारकों की अवहेलना अनेक राष्ट्रों में आतंकवाद का कारण वहाँ की राष्ट्रीय सरकारों द्वारा किसी जातीयता विशेष या क्षेत्र विशेष की उपेक्षा करना भी है। राजनीतिक, आर्थिक एवं नागरिक अधिकारों से उन्हें वंचित किये जाने पर उनमें कुंठा जन्म ले लेती है जो विद्रोह, हिंसा और अलगाववादी प्रवृत्ति को जन्म देती है। भारत में उत्तर पूर्व के राज्यों का आतंकवाद इसी प्रकार का आतंकवाद है। सरकार की दमनकारी नीति उनमें विद्रोह भरती है और बाद में उसमें विदेशी ताकतें भी शामिल होती हैं।
- 5. संचार साधनों का विकास इण्टरनेट, फैक्स, सैटेलाइट फोन आदि के माध्यम से किसी भी समय कहीं पर भी दूर बैठकर सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जा सकता है। आतंकवादी संगठनों ने भी इस तकनीक को अपनाया है। उनकी अपनी वेबसाइट है जिनके माध्यम से समय-समय पर वह संदेश जारी करते रहते हैं। सूचना तकनीक एवं वैज्ञानिक अनुसंधानों ने आतंकवाद को जन्म तो नहीं दिया लेकिन इसे सुगम बनाकर नई दिशाएँ प्रदान की है।
- 6. आतंकवादियों को विदेशी सहायता कुछ राष्ट्र दूसरे देशों को आतंकवाद रोकने में सहायता नहीं देते बल्कि अस्थिरता फैलाने के लिए आतंकवादियों को आर्थिक और राजनीतिक सहायता करते हैं पाकिस्तान भारत में इसी प्रकारआतंकवादी गतिविधियों को राष्ट्रों का प्रोत्साहन आतंकवाद को बढ़ावा देने में कुछ राष्ट्र एवं देश अपने राजनीतिक, सामरिक एवं आर्थिक हितों की वृद्धि के लिए रूचि लेते हैं तथा सुनियोजित तरीके से संघर्षरत गुटों को आतंकवादी गतिविधियों को करने के लिए प्रेरित एवं सहायता करते हैं। भारत में पाकिस्तान द्वारा कराई जा रहीं आतंकवादी गतिविधियाँ इसका एक अच्छा उदाहरण है। अमेरिका की कुटिल विदेश नीति भी आतंकवाद को पल्लवित करने वाली रही है। अमेरिका ने अपना राजनीतिक वर्चस्व बनाए रखने के लिए अनेक आतंकवादी संगठनों एवं आतंकवादियों जिनमें ओसामा बिन लादेन भी एक था को बढ़ावा दिया गया। ओसामा बिन लादेन को अफगानिस्तान में रूस की सेना को बाहर निकालने के लिए अमेरिका ने ही सशक्त किया था। किन्तु अमेरिका की नीति है कि उसके विरुद्ध जो भी आतंकवादी संगठन या आतंकवादी कार्य लगते हैं वह उनका अन्त करने का कार्य करने लगता है।
आतंकवाद के प्रकार :
आतंकवाद किसके द्वारा किसके विरूद्ध फैलाया जा रहा है यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। इस दृष्टिकोण के अनुसार आतंकवाद के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:
- 1. जैव आतंकवाद-खाड़ी युद्ध के दौरान ईराकी राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने जैव हथियार को विकसित किया 11 सितंबर को अमेरिका पर हुए हमले के बाद जिस जैव आतंकवाद को लोग सिर्फ कल्पना मात्र मान में लेते थे वह एंथ्रेक्स युक्त लिफाफे की शक्ल में सामने आया। इस प्रकार की नीति में सूक्ष्म जीवाणुओं के द्वारा मानव समुदाय को हानि पहुँचाने की बात सामने आती है। ये सूक्ष्म जीवाणु एक बार प्रवेश कर जाने पर आसानी से मानव जानवर या फसल को नष्ट कर देते हैं। यद्यपि कई राष्ट्र जैय हथियार विकसित करने की होड़ शामिल रहे हैं, लेकिन अमेरिका में एंथ्रेक्स बैक्टीरिया के समाने आते ही सभी के जिस्म में सिहरन-सी दौड़ गई। संदेश किया जा रहा है कि यह हरकत अलकायदा संगठन या इराके जैसे अमेरिका विरोधी देश की हो सकती है।अन्य पारंपरिक हथियारों की तुलना में जैव हथियार अधिक घातक होते हैं। पारंपरिक हथियारों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना खतरनाक हो सकता है जबकि जैव हथियारों को आसानी लाया व ले जाया जा सकता हैं। इन हथियारों के माध्यम से नागरिकों की सामान्य जिन्दगी और राजनीतिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर देना ही आतंकवादियों का लक्ष्य होता है।
- 2. आणविक आतंकवाद अणु बमों एवं परमाणु बमों को निर्मित करने पर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पाबंदी है और किसी भी स्वतंत्र राष्ट्र द्वारा यह कृत्य नहीं किया जा सकता। आतंकवादियों से भी यह उम्मीद की जाती रही है कि मानवीय समुदाय के नाते वह इतने विध्वंसकारी हथियारों का प्रयोग नहीं करेंगे किन्तु अलकायदा संगठन के कुछ गोपनीय दस्तावेज इस बात की पुष्टि करते हैं कि तालिबान परमाणु हथियार (यू. 2.35 ) के शोध में संलग्न है। विशेषज्ञों को चिंता इस बात की है कि आतंकवादी आर्थिक या रेडियोएक्टिव बम का इस्तेमाल किसी देश के खिलाफ कर सकते हैं या फिर किसी अपहृत विमान से इसे हवा मे फैला सकते हैं। 1995 मे चेचन्या अलगाववादियों ने मास्को के एक पार्क में खतरनाक परमाणु तथा रेडियोधर्मी तत्वों से भरे कनस्तर को रखकर आतंक मचा दिया था। आज वैश्विक स्तर पर इस बात की चिंता है कि आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त इराक या पाकिस्तान जैसे परमाणु सक्षम राष्ट्र आतंकवादियों को इसकी सप्लाई कर सकते हैं या आतंकवादी जबरन परमाणु हथियारों को अपने नियंत्रण में ले सकते हैं।
- 3.साइबर आतंकवाद साइबर आतंकवाद की अवधारणा 21वीं सदी के आतंकवाद की अवधारणा है, जिनमें सबसे आधुनिक हथियार का प्रयोग होता है। साइबर आतंकवाद में देश की सुरक्षा व्यवस्था में कम्प्यूटर प्रणाली के माध्यम से संघ मारी जाती है। समस्त जानकारी चुरा ली जाती है या नष्ट कर दी जाती है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र एवं अन्य विकसित देश इस साइबर आक्रमण की संभावना को पूरी तरह खत्म करने के लिए एक संयुक्त तंत्र बनाकर इलेक्ट्रॉनिक आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक मोर्चा तैयार कर रहे है। 1999 में कोसोवा युद्ध के दौरान पूरे 78 दिनों तक अमेरिकी ने सर्बियन कम्प्यूटर नेटवर्क को पूरी तरह जाम कर दिया था। अफगानिस्तान संकट के समय पाकिस्तान, अरब और फिलीस्तीन के कम्प्यूटर हैकर्स ने अलकायदा संगठन नेटवर्क विकसित किया। इसकी मदद से उन्होंने अमेरिकी सेना की वेबसाइट सहित परमाणु ऊर्जा नियंत्रण बोर्ड, एम्स तथा जे.एन.यू. (भारत) की वेबसाइट से जानकारियां हासिल कर लीं। साइबर विशेषज्ञों के अनुसार आतंकवादी उच्च तकनीकी का इस्तेमाल करते हुए कोई भाषा मे संवाद कर रहे हैं, जिसे जान पाना कठिन है। साइबर अपराध में विशेषज्ञ एक सामान्य फोटो के बाइनरी कोड को बदलकर उसके तीन मूल रंगों लाल, हरा और नीला में बदल दिया जाता है। संदेश करने की रंग की बदली हुई भाषा के मा से संदे प्राप्त कर है।
- 4.आनुवंशिक आतंकवाद आनुवांशिक आतंकवाद में कुछ वैज्ञानिकों का आनुवंशिक ज्ञान चातक हथियार के रूप में सामने आ सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब आतंकवादी उपलब्ध जीन और वायरस के तालमेल से एथ्रेक्स से भी ज्यादा खतरनाक जीवाणु तैयार कर सकते हैं। जीन अभियंत्रण की अवधारणा में डी. एन. ए. के क्रम में फेरबदल कर रोगा निरोधक स्थिति तैयार की जाती है, लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि उच्चतर तकनीकी विशेषज्ञ आधुनिक प्रयोगशाला की बदौलत इस तकनीक का इस्तेमाल नये खतरनाक बीमारी फैलाने वाले जीवाणु तैयार करने में लग जाए। इस प्रकार की तकनीक यदि आतंकवादियों को मिल जाए तो घटनाक्रम अत्यन्त कठिन हो सकता है।
- 5.राज्य प्रायोजित आतंकवाद-आतंकवाद का तीसरा रूप राज्य प्रायोजित आतंकवाद है। विश्व के कई देश प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आतंकवाद को शह प्रश्रय दे रहे हैं। क्यूबा, ईरान, इराक, लीबिया, उत्तरी कोरिया, दक्षिणी यमन और सीरिया को इस आतंकवाद का समर्थक माना जाता है। ऐसे देशों की सूची में अब पाकिस्तान का नाम भी जुड़ गया है। भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश पाकिस्तान ही है।
- 6. इस्लामिक आतंकवाद - इस्लामिक आतंकवादी इस्लाम राज्य की स्थापना के जुनून में आतंकवादी कृत्य करते हैं। इसे वे जिहाद कहते हैं। अलकायदा इसका स्पष्ट उदाहरण है। यह विचारधारा के रूप में आतंकवादी सेना मे नियमित भर्ती की जाती है। ये प्रशिक्षित आतंकवादी छोटे राज्यों को सहयोग प्रदान करते हैं तथा हथियारों की तस्करी करते हैं। तथा गैर-इस्लामिक राज्यों में आतंकवादी घटनाओं को अन्जाम देते हैं। अलकायदा से निकला एक गुट आईएसआईएस (इस्लामिक स्टेट आफ ईराक एंड सीरिया) है। इसे 10 हजार लड़ाकों को तैयार करने में लगभग 2 वर्ष का समय लगा है। सीरिया में ची रहे गृहयुद्ध से भी इसे मदद मिली। इसमें आतंकवादी ताकतों के कई गुट मौजूद हैं। आईएसआईएस को बाहर से मदद मिल रही है। पैसा, हथियार, गोला-बारूद उसे दूसरे देशों से मिल रहे है।
- 7.नाको आतंकवाद जो धन के बदलने में मादक द्रव्यों के धन्धे को समर्थन देता है। समाचार पत्रों में प्रकाशित सूचनाओं से पता चलता है कि अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कुख्यात सरगना ओसामा बिन लादेन ने मादक द्रव्यों की तस्करी से अथाह धन कमाया।
- 8.अपराध सम्बन्धित आतंकवाद जो आतंक फैलाने के लिए हिंसा को प्रमुख हथियार बनाता है और राजनीतिक सत्ता को हथियाने के लिए धन का उपयोग करता है। दाउद इब्राहिम जैसे अण्डर वर्ल्ड सरगनाओं द्वारा संचालित गिरोह के कारनामे इसी श्रेणी के अन्तर्गत आते हैं।
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