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विकास प्रशासन क्या है -अर्थ, परिभाषाए, विशेषताए एवं क्षेत्र(Development Administration - Meaning, Definations, fetures and scope)

 प्रस्तावना 

विकास प्रशासन द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात नये स्वतंत्र राष्ट्रों के उदय एवं पुनर्निर्माण की धारणाओं से सम्बन्धित है। इसके अन्तर्गत विकास को सर्वोच्चता प्रदान करने हेतु समाज में आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन धारा को प्रमुखता देना है। विकास प्रशासन के माध्यम से प्रशासन की यह पहल होती है कि देश के लोगों का सर्वागीण विकास एवं प्रशासन में सहभागिता सुनिश्चित की जा सके। तीसरी दुनिया के अधिकांश देशों में गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, कुपोषण एक सामान्य स्थिति थी। इन रूग्ण(बीमार) स्थितियों को परिवर्तित करने के लिए कम संसाधनों में अधिक से अधिक लोगों के जीवन स्तर को सुधारना एक कड़ी चुनौती थी। इसी सन्दर्भ में विकाश प्रशासन का उदय होता है जिसके अन्तर्गत सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक लक्ष्यों को केन्द्रित करके उनका समाधान त्वरित समय में किया जा सके।


अर्थ एवं परिभाषा

'विकास प्रशासन' दो शब्दों के योग से बना है, विकास और प्रशासन। 'विकास' शब्द का अर्थ होता है निरन्तर आगे बढ़ना और 'प्रशासन' का अर्थ है सेवा करना।
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि विकास प्रशासन में जनता की सेवा के लिए विकास कार्यों को करना निहित है। लोक प्रशासन में विकास का तात्पर्य किसी सामाजिक संरचना का प्रगति की ओर बढ़ना है।
इस प्रकार समाज में प्रगति की दिशा में जो भी परिवर्तन होते हैं उन्हें विकास की संज्ञा दी जाती है। विकास प्रशासन का आज विशेष महत्व है। इस शब्द को सबसे पहले 1955 में भारतीय विद्वान यू० एल० गोस्वामी ने प्रयोग किया था। परन्तु इसको औपचारिक मान्यता उस समय प्रदान की गयी जब इसके बौद्धिक आधार का निर्माण किया। तब से विकास प्रशासन की व्याख्याऐं और परिभाषाऐं बतायी जाती रही हैं। विद्वानों द्वारा विकास प्रशासन की निम्नलिखित परिभाषाऐं दी गयी हैं

  • प्रो० रिग्स के अनुसार, “विकास प्रशासन का सम्बन्ध विकास कार्यक्रमों के प्रशासन, बड़े संगठन विशेषकर सरकार की प्रणालियों, विकास लक्ष्यों की उपलब्धि के लिए नीतियों और योजनाओं को क्रियान्वित करने से है।"
  • डोनाल्ड सी0 स्टोन का कहना है कि विकास प्रशासन निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संयुक्त प्रयास के रूप में सभी तत्वों और साधनों (मानवीय और भौतिक) का सम्मिश्रण है। इसका लक्ष्य निर्धारित समयक्रम के अन्तर्गत विकास के पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की प्राप्ति है।"
  • जॉन डी० मॉण्टगोमरी ने कहा है कि "विकास प्रशासन का तात्पर्य अर्थव्यवस्था और कुछ हद तक सामाजिक सेवाओं में नियोजित ढंग से परिवर्तन लाना है।" वी) जगन्नाथ के अनुसार, “विकास प्रशासन वह प्रक्रिया है जो पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु क्रिया प्रेरित और अभिमुख होती है। इसके अन्तर्गत नीति, योजना, कार्यक्रम, परियोजनाऐं आदि सभी आती हैं।''
  • फेनसोड ने विकास प्रशासन की परिभाषा देते हुए कहा है कि विकास प्रशासन नवीन मूल्यों को लाने वाला है. इसमें वे सभी नये कार्य सम्मिलित होते हैं जो विकासशील देशों ने आधुनिकीकरण और औद्योगीकरण के मार्ग पर चलने के लिए अपने हाथों में लिए हैं। साधारणतया विकास प्रशासन में संगठन और साधन सम्मिलित हैं जो नियोजन, आर्थिक विकास तथा राष्ट्रीय आय का प्रसार करने के लिए साधनों को जुटाने और बाँटने के लिए स्थापित किये जाते हैं।"
  • प्रो. ए. वीडनर के अनुसार, विकास प्रशासन राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक प्रगति के लिए संगठन का मार्गदर्शन करता है। यह मुख्य रूप से एक कार्योन्मुख एवं लक्ष्योन्मुख प्रशासनिक प्रणाली पर जोर देता है ।

उपर्युक्त परिभाषाओं में भिन्नता के बावजूद भी यह देखने को मिलता है विकास प्रशासन लक्ष्योन्मुखी और कार्योन्मुखी है। परिभाषाओं के विश्लेषण के बाद विकास प्रशासन के सम्बन्ध में निम्नलिखित तत्व सामने आते है।

1. विकास प्रशासन निरन्तर आगे बढ़ने की एक गतिशील प्रक्रिया है।
2. निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए यह एक संयुक्त प्रयास है ।
3. यह तीसरी दुनिया के विकासशील देशों की विभिन्न
समस्याओं का समाधान करने का महत्त्वपूर्ण साधन है।
4. यह पिछड़े समाज के परिवर्तन, आधुनिकीकरण, और विकास के लिए शासन तन्त्र है।

विकास प्रशासन की विशेषताएँ :


विकास प्रशासन सरकार का कार्यात्मक पहलू है जो लक्ष्योन्मुखी होता है, बल्कि यह जनता के साथ कार्य करने वाला प्रशासन है। संक्षेप में विकास प्रशासन की निम्नलिखित विशेषताएँ है :

  • 1. परिवर्तनशील विकास प्रशासन का केन्द्र बिन्दु परिवर्तनशीलता है। यह परिवर्तन सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक है। विकासशील देशों में प्रशासन को निरन्तर परिवर्तनों के दौर से गुजरना पड़ता है। इस प्रकार परिवर्तनशीलता विकास प्रशासन की बहुमूल्य पूँजी है जिसके सहारे वह सक्रिय बना रहता है ।
  • 2. विकासात्मक प्रकृति विकास प्रशासन नवीन सुधारों तथा अभिनवकरणों पर निर्भर करता है। इसकी प्रकृति विकासात्मक कार्यक्रमों को लेकर चलने की होती है। इसका प्रमुख उदेश्य सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से पिछड़े समाज का विकास करना है ।
  • 3. प्रजातान्त्रिक मूल्यों से सम्बन्धित विकास प्रशासन जन आकांक्षाओं की पूर्ति के प्रति प्रयत्नशील रहता है। साथ ही विकास प्रशासन का प्रजातान्त्रिक मूल्यों से सम्बन्ध रहता है क्योंकि इसमें मानव अधिकारों और मूल्यों के तत्त्व निहित रहते है। चूंकि विकास प्रशासन का सम्बन्ध सरकारी प्रशासन द्वारा किये जाने वाले प्रयासों से है, और सरकारी प्रशासन जनकल्याण और प्रजातान्त्रिक मूल्यों से जुड़े सरकारी प्रयास जनकल्याण और प्रजातान्त्रिक मूल्यों से जुड़े रहते है, अतः विकास प्रशासन को प्रजातान्त्रिक मूल्यों से पृथक नहीं किया जा सकता।
  • 4. आधुनिकीकरण विकासशील देशों के विकास के लिए आधुनिक दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक हो गया है। साथ ही आज के आधुनिक उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु विकास प्रशासन को अपने आपको योग्य बनाना पड़ता है इसके लिए प्रशासनिक आधुनिकीकरण को विकास प्रशासन विकसित देशों से मापदण्ड और तकनीक प्राप्त करता है।
  • 5. प्रशासनिक कुशलता कुशलता प्रशासन की सफलता की शर्त है। विकास प्रशासन में प्रशासनिक कुशलता को इसलिए महत्त्व दिया जाता है कि इसके अभाव में विकास के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करना सम्भव नहीं है। विकास प्रशासन इस बात के लिए निरन्तर प्रयत्नशील रहता है कि प्रशासनिक विकास के माध्यम से प्रशासन की कार्यकुशलता में वृद्धि की जाए।
  • 6. आर्थिक विकास आर्थिक विकास और विकास प्रशासन का परस्पर महत्वपूर्ण सम्बन्ध है प्रशासनिक विकास के लिए आर्थिक विकास भी आवश्यक है। विकासशील देशों की विभिन्न आर्थिक योजनाएँ एवं विकास सम्बन्धी कार्यक्रम विकास प्रशासन के सहयोग से ही लागू किये जाते है। विकास प्रशासन ऐसे प्रशासनिक संगठन की रचना करता है जो देश की आर्थिक प्रगति को सम्भव बनाता है तथा आर्थिक विकास के लिए मार्ग प्रशस्त करता हैं राष्ट्र के विकास के लिए आर्थिक योजनाएँ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण होती है। और इन्हें लागू करने में विकास प्रशासन महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • 7. परिणामोन्मुखी विकास प्रशासन का परिणामोन्मुखी होना इसकी एक अन्य महत्त्वपूर्ण विशेषता है विकास प्रशासन से यह अपेक्षा की जाती है कि वह निर्धारित सीमा के अन्तर्गत कार्यों को सम्पन्न करें और परिणाम अच्छे हों अतः इसमें परिणाम को अधिक महत्व दिया जाता है।
  • 8. प्रतिबद्धता विकास प्रशासन को समाज के पिछड़े एवं वंचित वर्गों के कल्याण हेतु कटिबद्ध होना पड़ता है। इन व्यक्तियों तक प्रशासन के माध्यम से कल्याणकारी कार्यक्रम पहुंचाने के लिए आवश्यक है कि नियंत्रणकर्त्ता एवं प्रशासकों की उन कार्यक्रमों तथा योजनाओं को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के प्रति प्रतिबद्धता हो
  • 9. तात्कालिकता : विकासशील राष्ट्रों में लोक कल्याण हेतु प्रशासनिक निर्णय एवं नीतियाँ तात्कालिकता के आधार पर तय होती है। विकास प्रशासन द्वारा समय, स्थान तथा परिस्थिति का बहुत महत्व दिया जाता है। अतः आवश्यकता के अनुसार तत्काल निर्णय करना विकास प्रशासन हेतु अनिवार्य है।
  • 10.जन सहभागिता- विकास प्रशासन में जन-संपर्क तथा जन सहभागिता का विशेष महत्व है। विकास कार्यों में सफलता प्राप्त करना सम्भव नहीं है। वस्तुतः जन सम्पर्क से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि जन कल्याण के लिए विकास के जो कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं उसका कितना लाभ आम जनता तक पहुँचता है तथा जनता की उस कार्यक्रम के सम्बन्ध में क्या प्रतिक्रिया है। इस प्रकार जन सम्पर्क और जन-सहयोग विकास प्रशासन की एक आवश्यक शर्त है।

विकास प्रशासन का क्षेत्र

विकास प्रशासन लोक प्रशासन की एक नवीन और विस्तृत शाखा है। इसका जन्म विकासशील देशों की नयी-नयी प्रशासनिक योजनाओं तथा कार्यक्रमों को लागू करने के सन्दर्भ में हुआ है। सामान्य तौर से विकास से सम्बन्धित कार्य विकास प्रशासन के क्षेत्र के अन्तर्गत आते हैं। वैसे यह भी कहा जाता है कि विकासशील देश में सभी प्रशासन विकास प्रशासन ही है। विकास प्रशासन के क्षेत्र में वे समस्त गतिविधियाँ सम्मिलित हो जाती हैं जो सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, औद्योगिक तथा प्रशासनिक विकास से सम्बन्धित हों एवं सरकार द्वारा संचालित की जाती हों। विकास प्रशासन से सम्बन्धित साहित्य में विकास प्रशासन का दो अर्थों में प्रयोग किया गया है, पहला यह विकास के कार्यक्रमों में प्रशासन के रूप में देखा गया है और दूसरा प्रशासन की क्षमता को बढ़ाने के रूप में इसका प्रयोग किया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि विकास प्रशासन वह प्रशासन है जो विकास हेतु किये जाने वाले समस्त कार्यक्रमों, नीतियों, योजनाओं आदि के निर्माण और क्रियान्वयन से सम्बन्धित है। इसके साथ ही साथ प्रशासन विभिन्न समस्याओं को सुलझाने हेतु अपनी क्षमता एवं कुशलता को भी बढ़ाता है। संक्षेप में जिस प्रकार विकास के क्षेत्र को किसी निर्धारित सीमा में नहीं बांधा जा सकता, उसी प्रकार विकास प्रशासन के क्षेत्र को भी किसी निर्धारित सीमा के अन्तर्गत अथवा शीर्षक के अन्तर्गत लिपिबद्ध करना सम्भव नहीं है। फिर भी अध्ययन की सुविधा के लिए विकास प्रशासन के क्षेत्र को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत अध्ययन किया जा सकता है
  • 1. पोस्डकार्ब (POSDCORB) सिद्धान्त- चूँकि विकास प्रशासन, लोक प्रशासन का ही विस्तृत अंग है, इसलिए लूथर गुलिक द्वारा व्यक्त किया गया पोस्डकार्ब सिद्धान्त विकास प्रशासन के क्षेत्र के लिए प्रासंगिक है। यह शब्द निम्नलिखि शब्दों से मिलकर बना है- नियोजन, संगठन, कर्मचारी, निर्देशन, समन्वय, प्रतिवेदन तथा बजट | ये समस्त सिद्धान्त लोक प्रशासन के लिए आवश्यक हैं। विकास प्रशासन के क्षेत्र में योजनाओं का निर्माण करना, अधिकारियों एवं अन्य सेवा - वर्गों का संगठन बनाना, कर्मचारियों की श्रंखलाबद्ध व्यवस्था करने का कार्य सम्मिलित है, ताकि प्रत्येक कर्मचारी द्वारा सम्पादित किये जाने वाले कार्यों के सम्बन्ध में उन्हें सत्ता प्रदान की जा सके तथा उन्हें कार्य के सम्बन्ध में आवश्यक निर्देश दिये जा सकें। इसमें समन्वय का भी महत्वपूर्ण अधिकार सम्मिलित है। विभिन्न अधिकारियों और कर्मचारियों को सौंपे गये कार्यों के मध्य समन्वय स्थापित करना मुख्य कार्य है, ताकि कार्यों के दोहराव को रोका जा सके। विकास प्रशासन के क्षेत्र के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार की सूचनाओं और आँकड़ों के आधार पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करना पड़ता है। प्रशासन चाहे लोक प्रशासन हो या विकास प्रशासन, बजट की व्यवस्था और निर्माण दोनों के लिए आवश्यक है।
  • 2. प्रशासनिक सुधार एवं प्रबन्धकीय विकास- इन दोनों का विकास प्रशासन में अत्यन्त महत्व होता है, इसलिए प्रशासनिक सुधार एवं प्रबन्धकीय विकास पर अधिक ध्यान दिया जाता है। प्रशासकीय और विकासात्मक संगठनों में संगठनात्मक और प्रतिक्रियात्मक सुधारों की हमेशा आवश्यकता पड़ती है। प्रशासकीय सुधार का मुख्य उद्देश्य है जटिल कार्यों और प्रक्रियाओं को सरल बनाना तथा उन नियमों का निर्माण करना जिनसे कम से कम श्रम एवं धन व्यय करके अधिकतम उत्पादक परिणाम प्राप्त किये जा सके। इसके लिए समय-समय पर विभिन्न आयोग एवं समितियाँ गठित की जाती हैं तथा प्रशासनिक सुझाव के सम्बन्ध में इनके प्रतिवेदन माँगे जाते हैं। प्रतिवेदनों में सुझाऐ गये मुद्दों पर विचार करके उन्हें लागू करवाना विकासात्मक प्रशासन का प्रमुख कार्य हो गया है। इस प्रकार नवीन तकनीकी और प्रक्रियात्मक विकास पर अत्यधिक बल देना विकासात्मक प्रशासन का कर्तव्य बन जाता है।
  • 3. लोक-सेवकों की समस्याओं का अध्ययन विकास प्रशासन को नवीन योजनाओं, परियोजनाओं, विशेषीकरण तथा जटिल प्रशासनिक कार्यक्रमों को लागू करना पड़ता है। ऐसे कार्यों को सम्पन्न करने के लिए विकास प्रशासन को अनूकूल लोक सेवकों की आवश्यकता पड़ती है। इसके लिए लोक सेवकों को प्रशिक्षण हेतु विभिन्न प्रकार के विशेषीकृत प्रशिक्षण संस्थानों में भेजा जाता है, जहाँ उन्हें प्रशासकीय समस्याओं और संगठनात्मक प्रबन्ध आदि के सम्बन्ध में जानकारी दी जाती है। इस प्रकार समय के साथ बदली हुयी आधुनिक परिस्थितियों के अनुकूल लोक-सेवकों की भर्ती, प्रशिक्षण, चयन सेवा सम्बन्धि शर्तों आदि समस्याओं का अध्ययन किया जाता है।
  • 4. नवीनतम प्रबन्धकीय तकनीक का प्रयोग विकास प्रशासन का एक महत्वपूर्ण कार्य उन नवीन प्रबन्धकीय तकनीक की खोज करना है, जिनसे विकास कार्यक्रमों में कार्यकुशलता बढ़ायी जा सके। इस सम्बन्ध में विकसित देशों में अपनाये जाने वाले नवीन प्रबन्धकीय तरीकों को लागू करना चाहिए। विकासात्मक प्रशासन में प्रबन्ध के क्षेत्र में नवीन चुनौतियां सामने आती रहती हैं। उन चुनौतियों से कैसे तथा किस तरीके से निपटा जाए, यह विकासात्मक प्रशासन के लिए एक महत्वपूर्ण प्रश्न है, क्योंकि बिना उचित और आधुनिक प्रक्रिया के नवीन और आधुनिक चुनौतियों का सामना सम्भव नहीं है।
  •  5. कम्प्यूटर प्रणाली का प्रयोग कम्प्यूटर विकासशील देशों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका और सहयोग प्रदान कर सकता है। प्रशासकीय प्रबन्ध तथा प्रशासकीय विकास के लिए प्रक्रिया के क्षेत्र में यह वरदान साबित हो रहा है। आज विकासशील देश में प्रशासन को कम्प्यूटर प्रणाली का उपयोग करना पड़ रहा है। डाटा प्रोसेसिंग के मामले में तो इसकी उपयोगिता अत्यन्त प्रभावकारी सिद्ध हो रही है। कम्प्यूटर प्रणाली को विकास प्रशासन के क्षेत्र में अब सम्मिलित कर लिया गया है।
  • 6. मानवीय तत्व का अध्ययन विकास प्रशासन के विकास में मानवीय तत्व का अध्ययन अपरिहार्य है। मानव ही समस्त प्रशासकीय व्यवस्था का संचालक, स्रोत, आधार और मार्गदृष्टा है। प्रशासन पर परम्पराओं, सभ्यता, संस्कृति, राजनीति, आर्थिक, सामाजिक और बाह्य वातावरण का प्रभाव पड़ता है। इन सबका सम्बन्ध मानव से होता है। अतः विकास प्रशासन में विविध समस्याओं को हमें मानवीय व्यवहार के परिवेश में देखना चाहिए। इस प्रकार हम इसके अन्तर्गत सामाजिक मानक मूल्यों, व्यवहार, विचारों आदि का अध्ययन करते हैं।
  • 7. बहुआयामी विषय विकास प्रशासन में विकास को सर्वोच्चता प्रदान की जाती है और इसमें समस्त क्षेत्रों जैसे सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और प्रशासनिक क्षेत्रों में परिवर्तन, प्रगति एवं विकास किया जाता है। आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक ढाँचे का विकास करना विकास प्रशासन के क्षेत्र का चुनौती भरा कार्य होता है। वस्तुतः ये कार्य विकास प्रशासन की रीढ़ होते हैं। परम्परागत संरचनाओं की कमियों और प्रक्रियाओं का सुधार कर उनकी जगह नवीन प्रकार के आर्थिक व सामाजिक ढाँचे का निर्माण करना, विकास प्रशासन के समक्ष एक चुनौती भरा कार्य बन जाता है। गतिशील और परिवर्तनशील संरचनाओं को अगर ऐसे ही छोड़ दिया तो समय और परिस्थिति के बहाव की प्रक्रिया में पीछे रह जाती हैं। ये संरचनाऐं आधुनिक चुनौतियों का समाना करने के अनुकूल नहीं रह पाती हैं, अतः इन संरचनाओं का विकास व सुधार आवश्यक हो जाता है। भारत के आर्थिक विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाऐं स्वीकार की गयी हैं। समाजवादी लोकल्याणकारी अवधारणा के अनुसार गरीब और अमीर के बीच पायी जाने वाली असमानता को पाटने के लिए नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान किया गया है। लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण के लिए पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत किया गया है और उन्हें सत्ता प्रदान की गयी है। इस प्रकार विकास प्रशासन के क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक ढाँचे का विकास करना महवपूर्ण कार्य है।

विकास प्रशासन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य ग्रामीण एवं शहरी विकास के कार्यक्रमों को लागू करना है। ग्रामीण क्षेत्र में सिंचाई के पानी की व्यवस्था, सड़कों का निर्माण, पेयजल सुविधाऐं, सामुदायिक विकास योजनाएँ, रोजगार के कार्यक्रम, लघु-कुटीर उद्योग, आधुनिक तकनीकी का उपयोग तथा लोक कल्याणकारी कार्यों को जनता तक पहुँचाना विकास प्रशासन का अंग बन गया है। इसी प्रकार शहरों में विकास के अनेक कार्यक्रम लागू किये जाते हैं, जैसे- आवासीय समस्या को हल करने के लिए आवासीय योजनाएँ, पीने के पानी की व्यवस्था, टेलीफोन, तार, संचार तथा आवागमन की सुविधाएँ, प्रदूषण नियन्त्रण की समस्याएँ आदि।



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