मुसोलिनी
जीवन
जिस तरह हिटलर ने जर्मनी के आत्मसाम्मान और गौरव की पुनर्स्थापना करके उसे विश्व के शक्तिशाली राष्ट्रों में ला खड़ा किया था, ठीक उसी तरह बुनिटो मुसोलिनी ने इटली के प्राचीन गौरव को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित किया ।
सन् 1940 तक उसने आपने नेतृत्व गे इटली को विश्व के विकसित और साम्राज्यवादी देशों की पंक्ति में ला खड़ा किया । मुसोलिनी ने अपने क्रान्तिकारी और राष्ट्रवादी जिस दल की स्थापना की, उसे ”फासिस्ट” अर्थात् फासीवाद कहा जाता है ।
मुसोलिनी का जन्म 1883 में उत्तरी इटली के रोमान्या में हुआ था. विचारों की उग्रता उसे अपने पिता से हासिल हुई थी, जो एक सोशलिस्ट थे. मुसोलिनी की मां एक टीचर थी. वो खुद भी 18 साल की उम्र में एक स्कूल में पढ़ाने लग गया था. उस समय में इटली में अनिवार्य सैनिक सेवा का नियम था. मुसोलिनी इससे बचने के लिए स्विट्ज़रलैंड भाग गया. जब लौटा, तो कुछ समय के लिए सेना में काम किया. फिर पत्रकारिता शुरू कर दी. 1914 में जब पहला विश्वयुद्ध छिड़ गया तब मुसोलिनी का मानना था कि इटली को निष्पक्ष ना रहकर ब्रिटेन और फ़्रांस के पक्ष में लड़ाई में उतरना चाहिए.
1919 में मुसोलिनी ने एक राजनितिक संगठन की स्थापना की. इसमें उसने अपने हमखयाल लोगों की भरती की. ये वक़्त इटली में प्रखर राष्ट्रवाद के उभार का था. इटली में ही क्यों, मुसोलिनी के यार हिटलर के जर्मनी में भी यही हो रहा था. ‘राष्ट्र सर्वप्रथम’ का नारा लुभावना साबित हो रहा था. इसी हल्ले में मुसोलिनी को वो अभूतपूर्व समर्थन हासिल हुआ, जो आगे चलके उसकी निरंकुश तानाशाही का बेस बना.
1922 में 27-28 अक्टूबर की रात को लगभग 30,000 फासिस्ट लोगों के समूह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग लेकर रोम पर चढ़ाई कर दी. इसका नेतृत्व मुसोलिनी ने किया. लोकतांत्रिक सरकार की रक्षा से सेना ने भी हाथ खींच लिए. मार्शल लॉ लगाने से इंकार कर दिया. परिणाम ये रहा कि प्रधानमंत्री को सत्ता छोड़नी पड़ी. किंग विक्टर इमैनुअल ने सत्ता मुसोलिनी को सौंप दी. इतिहासकार बताते हैं कि इसके पीछे मुसोलिनी का खौफ़ ही था.
2009 में मुसोलिनी की प्रेमिका क्लेरेटा पेतासी की कुछ डायरियां सार्वजनिक हुई थी. डायरियों में दर्ज जानकारी से पता चलता है कि मुसोलिनी खुद को हिटलर का जूनियर सहयोगी माने जाने से खीझा हुआ था. इटली द्वारा ब्रिटेन पर हमला बोलने से दो साल पहले चार अगस्त 1938 को नौका विहार करते हुए मुसोलिनी ने बड़े गर्व से अपनी क्लेरिटा को बताया था,
अंत
दुसरे विश्वयुद्ध में मुसोलिनी ने जर्मन तानाशाह का साथ दिया था. लेकिन 1943 के आते-आते ये फैसला डिजास्टर साबित हुआ. इटली में मुसोलिनी के इस फैसले को लेकर असंतोष फैलने लगा. उसके नेतृत्व पर सवाल उठने लगे. आखिरकार 1943 की 25 जुलाई को इटली के राजा ने उसकी सरकार बर्खास्त कर दी. मुसोलिनी को गिरफ्तार किया गया. हालांकि वो ज़्यादा दिनों तक जेल में नहीं रहा. सितंबर में ही उसे हिटलर ने छुड़ा लिया.
दूसरे दिन 28 अप्रैल को मुसोलिनी, उसकी प्रेमिका क्लेरेटा पेतासी और उनके अन्य पंद्रह साथियों को गोली मार दी गई..
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मुसोलिनी ने यह साफ बता दिया था कि इटली को अपनी खोयी हुई प्रतिष्ठा के लिए और औद्योगिक समृद्धि की प्राप्ति के लिए यदि युद्ध भी लड़ना पड़े, तो वह इसे स्त्री की प्रसूति की तरह ही स्वाभाविक समझेगा । इंग्लैण्ड की तुष्टीकरण की नीति मुसोलिनी के तख्त का कील साबित हुई । मुसोलिनी कहा करता था- ”खतरे के बीच जियो ।”
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