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लोक प्रशासन का क्षेत्र (Scope of Public Administration)

 


लोक प्रशासन का क्षेत्र

(Scope of Public Administration)


एक अध्ययन विषय के क्षेत्र का अभिप्राय है कि उस विषय के अधिकार क्षेत्र में कौन-कौन से कार्य या क्रियाएं सम्मिलित की जाती हैं। मोटे तौर पर हम कह सकते हैं कि लोक प्रशासन का क्षेत्र राज्य तथा सरकार के क्षेत्र के समरूप है किन्तु यदि हम सूक्ष्म रूप से विचार करें तो इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि लोक प्रशासन का क्षेत्र अभी पूर्णतया स्पष्ट नहीं हो पाया है क्योंकि कुछ मूलभूत प्रश्नों का सर्वमान्य हल खोजा जा रहा है । फिर भी इस अध्ययन विषय के क्षेत्र को समझने में निम्नांकित दष्टिकोण लाभदायक हो सकते हैं:

1. संकुचित दृष्टिकोण
2. व्यापक दृष्टिकोण
3.पोस्डकॉर्ब(POSDCORB) दृष्टिकोण 
4.लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण 

उपरोक्त सभी द प्टिकोणों का विस्त त वर्णन नीचे दिया गया है:

1.संकुचित दृष्टिकोण


संकुचित विचार (Narrow view) के मानने वालों के अनुसार लोक प्रशासन का सम्बन्ध शासन की केवल कार्यपालिका शाखा (Executive Branch) से है साइमन ने कहा है कि लोक प्रशासन से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती हैं। लूथर गुलिक द्वारा प्रस्तुत "पोस्डकॉर्ब" विचार को भी इसी संकुचित दायरे में रखा जा सकता है।

2.व्यापक दृष्टिकोण

व्यापक द ष्टिकोण के समर्थक यह मानते हैं कि लोक प्रशासन के अन्तर्गत सरकार के तीनों अंगों-व्यवस्थापिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका द्वारा सम्पादित कार्य शामिल हैं। इनके अनुसार लोक प्रशासन के क्षेत्र में वे सभी क्रियाकलाप सम्मिलित हैं जिनका प्रयोजन लोक-नीति को पूरा करना या उसे क्रियान्वित करना होता है। विलोबी, मार्क्स और एल० डी० हाइट इस विचार के समर्थक हैं मार्क्स के शब्दों में, "अपने व्यापकतम क्षेत्र में लोक प्रशासन के अन्तर्गत सार्वजनिक नीति से सम्बन्धित समस्त क्रियाएँ आती हैं।"

3.पोस्डकॉर्ब दृष्टिकोण (PSODCORB View)

क्या लोक प्रशासन का संबंध मात्र सरकार की कैसे ' से ही है? 'कैसे' का अर्थ प्रक्रिया या प्रक्रियाएं है। लोक प्रशासन 'प्रशासन की प्रक्रियाओं का अध्ययन है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध लूथर गुलिक ने जिस मत को प्रतिपादित किया है उसे 'पोस्डकॉर्ब' कहा जाता है। लूथर गुलिक से पहले उर्विक तथा हेनरी फेयोल इत्यादि विद्वानों ने भी 'पोस्डकोर्ब' दृष्टिकोण अपनाया था, परन्तु इन विचारों की सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने का श्रेय गुलिक को ही जाता है। 'पोस्डकोर्ब' शब्द अंग्रेजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों को मिलाकर बनाया गया है। ये शब्द इस प्रकार हैं:

P-Planning- योजना बनाना
O-Organisation - संगठन बनाना
S-Staffing - कर्मचारियों की व्यवस्था करना
D-Direction -निर्देशन करना
Co-Co-ordination - समन्वय करना
R-Reporting - रिपोर्ट देना
B-Budgeting - बजट तैयार करना

इन शब्दों से निम्नलिखित क्रियाओं का बोध होता है:

P - योजना बनानाः प्लानिंग अर्थात् नियोजना कार्यों की रूपरेखा तैयार करना और निश्चित ध्येय की प्राप्ति के लिए रीतियों का निर्धारण करना।
O - संगठन बनानाः आरगेनाइजेशन अर्थात् संगठन। इसका उद्देश्य प्रशासकीय ढांचे की इस प्रकार संगठित करना है ताकि प्रशासकीय कार्यों का विभाजन उचित ढंग से किया जा सके और विभाग में समन्वय किया जा सके।
S - कर्मचारियों की व्यवस्था करनाः स्टाफ अर्थात् सम्पूर्ण कर्मचारी वर्ग की नियुक्ति, प्रशिक्षण और उनके लिए कार्य करने की अनुकूल दशाओं का निर्माण करना।
D - निदेशन करनाः इसके अन्तर्गत वे निर्णय आते हैं जो निर्णायकों द्वारा कर्मचारियों के कार्यों के संबंध में लिए जाते निर्णय सामान्य आदेशों के रूप में सन्निहित करके प्रशासकीय कर्मचारियों तक पहुंचाये जाते हैं।
CO - समन्वय करनाः कार्य के विभिन्न भागों को परस्पर संबंधित करना अथवा उनमें समन्वय स्थापित करना।
R - रिपोर्ट देनाः रिपोर्टिंग अर्थात् रपट देना। इसका उद्देश्य वरिष्ठ तथा निम्न कर्मचारियों के कार्यों के संबंध में निरीक्षण अधिकारियों को सूचित रखना है। इसका उद्देश्य निरीक्षण के लिए अभिलेख तैयार करना भी है।
B - बजट तैयार करना: इसके अन्तर्गत हम वित्त व्यवस्था का संक्षिप्त अध्ययन करते हैं। विशेष रूप से इसका अध्ययन बजट तैयार करने से है।

उपर्युक्त 'पोस्डकार्ब ' क्रियाएं सभी संगठनों में सम्पन्न की जाती है। प्रशासन का चाहे कोई भी क्षेत्र हो तथा कोई भी उद्देश्य हो ये प्रबन्ध संबंध सामान्य समस्याएं सबमें एक जैसी एवं अनिवार्य होती है। लोक प्रशासन के कार्य-क्षेत्र के संबंध में 'पोस्डकोर्ब विचार को सामान्यतया स्वीकार किया जाता है।

4.लोक कल्याणकारी दृष्टिकोण 

लोक प्रशासन के क्षेत्र से संबंधित एक अन्य द ष्टिकोण है। इसे आदर्शवादी द ष्टिकोण भी कहा जाता है । इसे आदर्शवादी द प्टिकोंण भी कहा जाता है। इस द ष्टिकोण के समर्थक राज्य और लोक प्रशासन में अधिक अन्तर नहीं मानते। उनके मातानुसार वर्तमान समय में राज्य लोक कल्याणकारी है।, अतः लोक प्रशासन भी लोक कल्याणकारी है । दोनों का लक्ष्य एक ही है-जनहित अथवा जनता को हर प्रकार से सुखी बनाना। इस द ष्टिकोण के समर्थ कहते हैं कि "आज लोक प्रशासन सभ्यस जीवन का रक्षक मात्र ही नहीं, वह सामाजिक न्याय तथा सामाजिक परिवर्तन का भी महान साधन है ।" इससे स्पष्ट होता है कि लोक प्रशासन का क्षेत्र जनता के हित में किए जाने वाले सभी कार्यों तक फैला हुआ है। एल० डी० व्हाइट लोक प्रशासन को 'अच्छी जिंदगी के लक्ष्य की प्राप्ति का साधन मानते हैं।

'संयुक्त विश्वविद्यालय अध्ययन और लोक प्रशासन परिषद् की लोक प्रशासन समिति' ने लोक प्रशासन के अध्ययन-क्षेत्र का वर्णन इस प्रकार किया है:

(क) इसमें प्रशासन के ऊपर विविध प्रकार के नियंत्रणों का अध्ययन होता हैं।
(ख) लोक प्रशासन में लोकतंत्रात्मक शासन-व्यवस्था के भीतर प्रशासकीय प्रक्रिया का अध्ययन होता है।
 (ग) लोक सेवा, स्थानीय शासन सेवा तथा ऐसी ही अन्य कर्मचारियों से संबंधित कार्मिक समस्याओं का अध्ययन होता



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